लेकिन फिर सोचा कि देश के वर्तमान माहौल में आम आदमी अपने आक्रोश को हिन्दी के शिष्ट प्रयोग से कब तक बाँधकर रखेगा.
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नागमती के वियोग वर्णन में आषाढ़ के प्रसंग में विशेषकर अद्रा लाग बीज भुइँ लेही मोंहि पिय बिनु को आदर देही में रतिक्रिड़ा का इतना खुला आग्रह है कि भाषा के शिष्ट प्रयोग से भी उसे व्यंजित कर देने की क्षमता पर आश्चर्य होता है ।